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लेखनी कहानी -01-Aug-2023 वो हमसफ़र था, एपिसोड 12




"कहा हो तुम? लगता है तुमसे दोबारा मिलना आज सम्भव नही है, काश की तुम यही लाइब्रेरी में हो,,, पर कहा,, मुझे तो कही नही दिख रही हो,,,तुम्हे बताना था की मेरा इंटरव्यू कितना अच्छा गया,,, उम्मीद है कि एग्जाम होने से पहले जॉब लग जाएगी,, फिर तुम और मैं " हंशल ने अपने आप से कहा हनिश्का को  इधर उधर ढूंढते हुए


"अब ये अभीर कहा चला गया, जरूर हनिश्का ने मुझे अभीर के साथ देख लिया होगा,,, इसलिए वो चली गयी,,, चलो कोई नही कल मुलाक़ात कर लूँगा नही तो मौका मिला तो फ़ोन पर बात कर लूँगा " हंशल ने अब अभीर को ढूंढते हुए अपने आप से कहा


वही दूसरी तरफ किताबों के रेक के पीछे ख़डी हनिश्का, अपनी पलकें झुकाये धीरे धीरे बाहर आ रही थी ताकि आ रहे हंशल को वो थोड़ा डरा सके, लेकिन ये क्या वो जैसे ही बाहर आयी, सामने खडे शख्स को देख घबरा गयी


और इसी घबराहट में कब उसका पैर लड़खड़ा गया उसे पता ही नही चला, वो जोर से चीख मार कर गिरने ही वाली थी कि अचानक किसी की मजबूत बाहों ने उसे थाम लिया था उसकी आँखे बंद थी, ज़ब उसे एहसास हुआ कि वो सुरक्षित थी उसने धीरे धीरे आँखे खोली तो पाया की जिसकी बाहों में वो थी वो अभीर था


अभीर उसे एक टक देख रहा था, वो घबरा कर झट पटाई, उसे ऐसा करता देखा अभीर जो की उसमे खोया हुआ सा था होश में आता है,, और हकलाते हुए कहता है " म,,, म,,, माफ करना,,, तुम यूं अचानक डर कर गिर रही थी तो मैंने तुम्हे पकड़ लिया  तुम ठीक तो हो "

"म,,, म,,, मैं ठीक हूँ,,, त,,, त,,,, तुम यहाँ,,, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? " हनिश्का ने अपनी जुबान पर आ रही बात को बिना सोचे समझें ही पूछ लिया


"मतलब,,मैं तो यहाँ से कुछ किताबें ले रहा था,,, तुम किसी का इंतज़ार कर रही थी क्या?" अभीर ने एक टोक जवाब दिया उसे इस तरह जवाब देता देख हनिश्का ने अपने सवाल पर गौर किया और वो थोड़ा नजरें चुराते हुए और लड़खड़ाती जुबान में बोली " म,,, म,,, मेरा,,, मेरा मतलब वो नही था,, नही,,, नही मैं भला किसका इंतज़ार करुँगी,, वो क्लास में बोर हो रही थी तो सोचा लाइब्रेरी आ जाऊ कुछ किताबें पढ़ लू,,, किताबें खोजने में इतना गुम हो गयी की पता ही नही चला की सामने रेक नही कोई जीता जागता इंसान खड़ा है,,, वैसे तुम्हारा शुक्रिया,,, तुम ना होते तो शायद मैं गिर ही जाती "


"नही,,, नही,,, मैं गिरने देता तब ना,,, मैं अपने दोस्तों को कभी नही गिरने देता " अभीर ने कहा


हनिश्का ने एक मुस्कान दी और खामोश हो गयी


अभीर उसकी तरफ देखते हुए बोला " और, कोई बुक्स मिली,, वैसे मैं भी किताबें लेने ही आया था, चलो साथ मिलकर देखते है "


"अच्छा,,, नही तुम देखो मुझे अब चलना चाहिए, सहेलियां इंतज़ार कर रही है मेरा,,, मुझे जो चाहिए थी वो मिल गयी " हनिश्का ने कहा

"अच्छा,,, लेकिन कहा,, तुम्हारे हाथ तो खाली है " अभीर ने कहा उसके हाथों की तरफ देखते हुए

हनिश्का ने अपने हाथ देखे जो खाली थे, वो थोड़ा चहरे पर झूठी मुस्कान और हकलाते हुए बोली " व,,, व,, वो किताबें,,, वो तो लाइब्रेरियन के पास है,,, उसके पास ही रख आयी थी,, जाते हुए ले लुंगी "


"अच्छा, चलो फिर मुलाक़ात होगी " अभीर ने कहा


हनिश्का वहां से जाने के लिए दूसरी रेक में मुड़ी ही थी   कि तब ही वहाँ हंशल आ जाता है, और अभीर से कहता है " क्या हुआ? कुछ चीखने की आवाज़ आयी थी,,, तू ठीक तो है "


"हाँ,, हाँ मैं तो ठीक हूँ,,, हनिश्का थोड़ा डर गयी थी,, मुझे देख कर " अभीर ने कहा


"हनिश्का,, और यहाँ " हंशल ने थोड़ा चौकते हुए कहा


"हाँ, भाई इतना चौक क्यूँ रहा है? उसका क्या लाइब्रेरी में आना मना है " अभीर ने कहा


"नही,,, नही मैंने ऐसा कब कहा, अच्छा तो वो तुझे कहा मिली " अभीर ने कहा


"पता नही, यहाँ इस रेक के पीछे ख़डी थी, कह रही थी कि किताब ढूंढ रही थी,,, लेकिन ऐसा लग रहा था मानो किसी का इंतज़ार कर रही थी,,, और मुझे सामने देख डर कर गिरने ही वाली थी कि मैंने उसे पकड़ लिया,,, वरना बेचारी गिर जाती " अभीर उसे बता ही रहा था जिसे सुन हंशल को गुस्सा आ रहा था एक तो जिस तरह वो बता रहा था और दूसरा इस बात पर की वो उसका इंतज़ार यहाँ कर रही थी और वो बेवकूफ पूरी लाइब्रेरी घूम आया


"चल,, चल बस कर,, क्या अब पूरी कहानी ही बताएगा,, चल चलते है,,, अब रुकने का कोई फायदा नही " हंशल ने कहा थोड़ा चिढ़ते हुए


"क्यूँ भाई? क्या हुआ? तू तो लाइब्रेरी किसी काम से आया था,, और अभी तो मैंने किताबें भी नही ली " अभीर ने कहा उसकी तरफ देखते हुए


"अब कोई काम नही रहा, जिस काम से आया था वो हो गया" हंशल ने कहा और अभीर का हाथ खींच लिया


"और मेरी किताबें, वो तो लेने दे " अभीर ने कहा


"बड़ा आया तू, पढ़ाकू,,, तूने कोनसा कोई नोट्स बनाने है,,, मेरे ही तो कॉपी कराना है तुझे,,, तो बस फिर क्या करेगा किताब इशयु कराकर,,, तेरी स्टडी रूम की ही शोभा बढ़ायेगी और कुछ नही, चल अब चलते है " हंशल ने कहा


"वैसे ठीक ही कह रहा है तू, मुझे लगता है मुझसे ज्यादा तू मुझे जानने लगा है,,, सही कहा न मैंने " अभीर ने कहा उसकी पीठ पर चढ़ते हुए


"तेरी सोबत का असर है, मैं भी तेरी तरह बनता जा रहा हूँ " हंशल ने उसकी तरफ देखते हुए कहा


"अच्छा, बेटा ये बात है, चलो इस बात का जवाब हम तुम्हे एक दिन जरूर देंगे " अभीर ने कहा


"दे देना, लेकिन अभी चलो यहाँ से,,, पता नही कॉलेज की छुट्टी कब होगी,,, आज का दिन तो काटे नही कट रहा है " हंशल ने थोड़ा गुस्से से कहा


"ऐसा भी क्या हो गया? जो इस तरह बोल रहा है " अभीर ने कहा


हंशल कुछ कहता तब ही छुट्टी की रिंग सुनाई पड़ गयी और दोनों लाइब्रेरी से भाग निकले


हनिश्का, क्लास रूम में पहुंचने ही वाली थी की छुट्टी की रिंग हो गयी, और क्लास में से बच्चें भागते हुए निकल रहे थे, वो भी उनसे बचते हुए क्लास से जाकर अपना बेग उठा लायी, उसकी सास हाफने लगी थी, बच्चों की भग दड़ से बच कर वो ज़ब बाहर आयी, उसने अपने सर पर हाथ मारा और अपने आप से बोली " आज तो तू गयी थी, हनिश्का,,, पागल हंशल न जाने मुझे कहा ढूंढता रहा "


"हनिश्का,,, औ हनिश्का,,, वहां क्या ख़डी है? इधर आ घर जाना नही है " दूर ख़डी उसकी एक दोस्त ने कहा


आ रही हूँ,,, बस पांच मिनट,, हनिश्का ने कहा और उसकी तरफ बड़ गयी

"कहा रह गयी थी,,, छुट्टी के वक़्त कहा गयी थी,वाशरूम में इतना समय कौन लगाता है " उसकी दोस्त ने पूछा


"अरे नही,, वो बस लाइब्रेरी तक गयी थी,,, कुछ लेना था " हनिश्का ने कहा


"देख रही हूँ, तू आज कल लाइब्रेरी बहुत जा रही है,,, सब ठीक तो है,,,," उसकी दोस्त ने कहा

"क्या मतलब इस बात से? मुझे कुछ किताबें लेना थी,,, तुझे याद नही फाइनल एग्जाम में अब दिन ही कितने बचे है,," हनिश्का ने कहा


"जानती हूँ, जानती हूँ,,,, तेरे अनोखे एग्जाम थोड़ी हो रहे है,,,, हम भी तो एग्जाम देंगे हमें तो कोई इतनी चिंता नही है,, हम तो बार बार लाइब्रेरी नही जा रहे है,,, जरूर दाल में कुछ काला है " उसकी दोस्त संध्या ने कहा


"मुझे सिर्फ पास नही होना है,,, अच्छी पोजीशन लाना है,, इसलिए अच्छी पोजीशन लाने के लिया पढ़ना तो पड़ेगा ही " हनिश्का ने कहा


"हाँ,,, हाँ,,, ठीक है,,,मेरी तो बस जल्दी से इस पढ़ाई से जान छूटे, उसके बाद आराम से सोया करुँगी,, देर तक " उसकी दोस्त संध्या ने कहा


"कुम्भकरण की बहन, बस हर समय सोने की ही बात करती रहा कर,,, चल अब जल्दी जल्दी चल,,, ऑटो भी पकड़नी है,,, घर पर मामी भी इंतज़ार कर रही होगी " हनिश्का ने कहा संध्या को थोड़ा धक्का देते हुए आगे को


"अच्छा,,, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, देर से खुद आयी और अब मुझे बाते सुना रही है,,, ठीक है,,, ठीक है,,, चल अच्छा जल्दी चल,," संध्या ने कहा हस्ते हुए, हनिश्का भी मुस्कुरा रही थी और वो दोनों कॉलेज के गेट से बाहर निकल आते है और ऑटो का इंतज़ार करते है


हंशल और अभीर भी दौड़ कर आकर क्लास से अपना बेग उठाते है, और फिर दोनों कार पार्किंग की और बढ़ते है, तब ही रास्ते में हंशल को कोई पीछे से आवाज़ देता है, जिसे सुन वो रुक जाता है


आखिर किसने आवाज़ दी थी हंशल को जानने के लिए पढ़ते रहिये 

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1 Comments

Milind salve

12-Aug-2023 12:07 PM

Nice one

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